आज यदि मनुष्य किसी दूसरे मनुष्य से घृणा भाव रखता है तो ये बात बहुत मामूली है, क्योकि जब मनुष्य भगवान से भी घृणा भाव रखने में पीछे नहीं हटता तो उसकी नजरो में एक इंसान का क्या महत्व हो सकता है ?
आज मैं समस्त मनुष्यों से एक सवाल करना चाहूंगी, आप में से कई मनुष्य आज भी सच्चाई और धर्म का साथ देते है, तो कुछ मनुष्य झूठ और अधर्म का साथ देते है, जो अधर्म और झूठ का साथ देते है, उनसे मेरा एक ही प्रश्न है, जब कोई चोर चोरी करता है तो उसे पकड़े जाने का भय रहता है, वो आस पास जरूर देखता है कहीं कोई उसे देख तो नहीं रहा ? जब कोई दुष्ट पापी अपराध करता है तो उसे भी इस बात का भय रहता है कहीं आस पास कोई CCTV कैमरा तो नहीं लगा कहीं मेरा अपराध सबके सामने उजागर ना हो जाए फिर भी वो अपना काम कर के भाग निकलता है, मगर ऐसे मूर्खो को ये नहीं पता तुम इंसानो को छल सकते हो, भगवान को कदापि नहीं क्योकि CCTV से भी बड़ा कैमरा भगवान के दरबार का होता है, जहां एक बार किसी का कोई जुर्म या झूठ दर्ज हो गया तो वो मिट नहीं सकता। क्या तुम्हे इस बात का खौफ नहीं ?
आज संसार जिस विकट समस्या से जूझ रहा है यदि किसी को सत्य का आइना दिखा भी दिया जाए तो वो सत्य को भी झुठला देगा। यहां के मनुष्य तो स्वयं को भी भगवान मान चुके है, क्योकि किताबों को पढ़ कर ग्रंथो को पढ़ कर वो भगवान को ही गलत समझने की भूल कर बैठते है, जानते हो संसार क्यों अपनी आखरी सांसे गिन रहा ?
उसकी वजह हो तुम इंसान,क्योकि तुमने अपनी आँखों पर पट्टी बांध रखी है, तो तुम्हे सच कैसे दृश्यमान होगा ? तुम इंसानो ने अपने कानो का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है दूसरो की कही सुनाई बातो को ही सच मान कर अपना जीवन यापन कर रहे हो, कभी सोचा है भगवान ने सबको अपनी अपनी आँखे और कान क्यों दिया है ?ताकि लोग दिशाहीन होने की भूल ना करे, अपने मार्ग से भ्र्ष्ट होने की भूल ना करे मगर अफसोस आज इस संसार में ज्यादातर मनुष्य खुद की आँखों पर खुद के कानो पर यकीन ना कर दूसरो की बातो पर यकीन कर लेने की भूल कर लेते है, जिसके फलस्वरूप आज इस संसार में ऐसा कोई घर नहीं जहां कलह या अशांति ना हो।
सदैव याद रखना भले ही तुमने किताबों और ग्रंथों में दर्ज शब्दों को यदि सच मान लिया है, जिसमे ईश्वर को किसी- किसी स्थान पर गलत ठहराने का प्रयास किया गया है तो तुम अपने रास्ते में स्वयं ही कांटे बुनने का कार्य कर रहे हो, क्योकि ये जो सांसे चल रही तुम्हारी, ये शक्ति शरीर में समाहित है तुम्हारी, ये उसी ईश्वर की देन है, तुमने तो उस परमात्मा को भी नहीं छोड़ा तो तुम किसी इंसान को क्या बख्शोगे ?
जैसे आइना तुम्हे अपना असल चेहरा दिखाता है, ठीक वैसे ही तुम्हारा प्रत्येक कर्म तुम्हारा परिचय करवाता है, तुमने जीवन को अभी उचित प्रकार से जानने का प्रयास नहीं किया तो तुम्हारा परिचय जीवन के सत्य से कैसे होगा ? तुम्हारा साक्षात्कार उस परमेश्वर से कैसे होगा ?
यही कारण है जो ईश्वर ने अपना हस्तछेप करना बंद कर दिया है,जब तुम स्वयं को ही ईश्वर मान चुके हो, असत्य को स्वीकार चुके हो तो तुम्हे मार्ग से भ्र्ष्ट होने से कौन बचा सकता है ?
मेरी एक बात सदैव याद रखना जिस दिन तुम्हारा परिचय उस परमेश्वर के सत्य से होगा उस दिन तुम्हारी आँखों में अपनी भूल और पश्चाताप का आंशू होगा।
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Sneha Amrohi
Today, if a man has hatred towards another man, then this is a very normal thing because when a man does not hesitate in having hatred even towards God, then what importance can a human being have in his eyes?
Today I would like to ask a question to all the people, many of you still support truth and justice, while some people support lies and injustice, those who support lies and injustice, I have only one question for them, when a thief commits a theft, he fears getting caught, he definitely looks around to see if someone is watching him? When a wicked sinner commits a crime, he also fears whether there is any CCTV camera installed nearby or if his crime is exposed in front of everyone, even then he does his work and runs away, but such fools do not know that you can deceive people, but never God because God's court has a bigger camera than CCTV, where once someone's crime or lie is recorded, it cannot be erased. Are you not afraid of this?
Today the world is facing a grave problem. If someone is shown the mirror of truth, he will deny the truth. People here have started considering themselves as God, because by reading books and scriptures they make the mistake of considering God wrong. Do you know why the world is counting its last breaths?
The reason for that is you humans, because you have tied a blindfold on your eyes, so how will you see the truth? You humans have stopped using your ears and are living your life by believing what others say as the truth, have you ever thought why God has given everyone eyes and ears? So that people do not make the mistake of being directionless, do not make the mistake of getting corrupted from their path, but sadly today in this world most of the people make the mistake of not believing their own eyes and ears and believe the words of others, as a result of which today there is no such house in this world where there is no discord or unrest.
Always remember that even if you have accepted the words written in books and scriptures as true, in which an attempt has been made to prove God wrong at some places, then you are yourself creating thorns in your path, because this breathing of yours, this power contained in your body, all this is a gift from the same God. You did not spare even that Almighty, then how will you spare any human being?
Just like a mirror shows you your real face, similarly your every action introduces you. If you have not tried to understand life properly, then how will you be introduced to the truth of life? How will you have an encounter with that God?
This is the reason why God has stopped intervening. When you have considered yourself to be God and have accepted untruth, then who can save you from going astray?
Always remember one thing of mine, the day you will be introduced to the truth of God, that day there will be tears in your eyes for your mistake and repentance.
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Sneha Amrohi
ReplyDeleteAwaken your intelligence and wisdom, recognize the truth, learn to perform your duties properly, this is the well being of the world. Very lovely article.👍
Thanks a lot....
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