क्या है दिव्य दृष्टि का सही अर्थ ? What is The True Meaning of Divine Sight ?

Snehajeet Amrohi
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अच्छाई और सच्चाई कभी किसी सबूत और सफाई की मोहताज नहीं होती,क्योकि अच्छाई और सच्चाई में साक्षात ईश्वर का वास होता है और ईश्वर को कोई झुठला नहीं सकता ना ही कोई ईश्वर को हरा सकता है। 

गलत चीजों के पीछे ये दुनिया भागती है, अच्छी बाते,अच्छे लोग, अच्छे काम,अच्छी आदते और अच्छी किताबे सबको पसंद नहीं आ सकती। 

अब आप खुद अंदाजा लगा लो कि जब बाजार में कोई चीज सस्ती मिलती है,तो वहां लोगो की भीड़ लग जाती है, उसे खरीदने के लिए हर कोई आगे खड़ा रहता है, क्योकि पैसे की बचत हो रही है, मगर कोई ये विचार क्यों नहीं करता कि हो सकता है वो सामान खराब हो जिससे स्वास्थ पर असर पड़ सकता है, आप बीमार हो सकते है, आपके खर्चे और बढ़ सकते है। 

आज इस दुनिया में ठीक वैसा ही इंसान एक दूसरे इंसान के साथ कर रहा है, ना तो इंसान की कद्र है,ना इंसानियत की परख है,आज इस संसार में मानव अपने बुरे कर्मो में मगन है। 

कुछ लोग कहते है कि भगवान को कोई देख नहीं सकता क्योकि उसके लिए दिव्य दृष्टि की आवश्यकता है, मनुष्य अपने नेत्रों द्वारा किसी दिव्य ऊर्जा को नहीं देख सकता। मगर दिव्य दृष्टि असल में क्या होती है इसका ज्ञान क्या आप मनुष्यो को है ?

दिव्य दृष्टि वही पा सकता है जिसने कभी गलत कर्मो को नहीं चुना,दिव्य दृष्टि वही पा सकता है जिसने अपनी नेत्रों से कभी अन्याय होते देख चुप नहीं रहा,दिव्य दृष्टि वही पा सकता है जिसने सत्य को असत्य से पराजित करने का पाप नहीं किया, दिव्य दृष्टि वही पा सकता है, जिसने कभी लोभ, ईर्ष्या, स्वार्थ, अहंकार,क्रोध और घृणा जैसे स्वाभाव को नहीं अपनाया,दिव्य दृष्टि वही पा सकता है जो अच्छाई के लिए अंतिम सांस तक लड़ने के लिए तैयार रहता है,दिव्य दृष्टि वही पा सकता है जो कभी अपने माता-पिता और कुटुंब का निरादर नहीं करता,दिव्य दृष्टि वही पा सकता है जो सदैव धर्म का साथ देता है।  

कहने का तात्पर्य है यदि तुम्हारे भीतर कोई छल-कपट नहीं, यदि तुम निश्कपट और साफ मन से सदैव अच्छे कर्म में रूचि रखते हो,तो तुम दिव्य दृष्टि को धारण कर सकते हो यदि तुमने आजीवन पाप किया है,लोभ में आ कर सबको सताया है तो किसी भी जन्म में तुम्हे दिव्य दृष्टि प्राप्त नहीं हो सकती। 

यदि एक साधारण मनुष्य भी सदैव अच्छे कर्म,अच्छी आदते, अच्छी सोच को धारण करता है तथा सदैव धर्म का साथ देता है,और अधर्म के लिए आवाज उठाता है तो वो एक साधारण मनुष्य नहीं रह जाता, उसे इस बात का अनुमान नहीं हो पाता उसने क्या हासिल कर लिया है,ऐसे सत्य पुरुष ही दिव्य दृष्टि को प्राप्त करने योग्य बन जाते है, और एक दिन समय आने पर वो अपनी खुली नेत्रों से ईश्वर को देख पाने में सक्षम होते है। 

इस दुनिया में ही सब कुछ है,गम है तो खुशी भी है, बुराई है तो अच्छाई भी है, यदि अंत है तो आरंभ भी है, यदि मृत्यु है तो पुनर्जन्म भी है, यदि विछोह है तो पुनः मिलन भी है, यदि अधर्म का अंधकार है तो धर्म का प्रकाश भी है, यदि इस धरा पर मनुष्य है तो इसी धरा पर कहीं ना कहीं भगवान भी है और वो कहां किस रूप में है उन्हें जानना, समझना और पहचान पाना सबके लिए संभव नहीं उन्हें वही पहचान सकेगा जिसका कर्म सही होगा जो धर्म का पालक होगा। 

लोग कहते है कि दिव्य दृष्टि को साधना और तपस्या से जागृत किया जा सकता है,मगर लोग ये क्यों नहीं समझ पाते कि साधना और तपस्या तभी सफल हो सकती है, जब साधक की सोच, उसके कर्म सही हो तभी वो अपनी साधना और तपस्या में सफल हो पाता है। सदैव याद रखना भले ही तुम किसी गुरू, साधु महात्मा या किसी पंडित के पास क्यों ना चले जाओ मगर यदि तुम्हे अपनी साधना को सफल करना है तो तुम्हे किसी गुरू,साधु संत और पंडित के पास जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी यदि तुम्हारे कर्म सही है,यदि तुमने सदैव अच्छाई और सच्चाई का चयन किया है, यदि तुमने सदैव धर्म का पालन किया है तो ये तीनो गुण ही तुम्हारी तपस्या और साधना है जिसकी सहायता से तुम ईश्वर को महसूस कर सकते हो,जिसकी सहायता से तुम अपनी दिव्य दृष्टि को जागृत कर पाने में सफल हो सकते हो। 


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Sneha Amrohi - ( From- India )





Goodness and Truth never need any proof or explanation because God resides in goodness and truth and no one can deny God nor can anyone defeat God.

This world runs after wrong things, good things, good people, good deeds, good habits and good books cannot be liked by everyone.

Now you can imagine that when something is available cheap in the market, there is a crowd of people there, everyone stands in front to buy it, because money is being saved, but why does no one think that the product may be bad which can affect your health, you can fall ill, your expenses can increase further.

Today in this world, humans are doing the same thing to each other. There is no respect for humans, no appreciation for humanity. Today in this world, humans are engrossed in their evil deeds.

Some people say that no one can see God because it requires divine sight, humans cannot see any divine energy with their eyes. But do you humans know what divine sight actually is?

Only he can get divine vision who never chose wrong deeds, only he can get divine vision who never remained silent after seeing injustice with his own eyes, only he can get divine vision who never committed the sin of defeating truth with untruth, only he can get divine vision who never adopted the nature like greed, jealousy, selfishness, ego, anger and hatred, only he can get divine vision who is ready to fight till the last breath for goodness, only he can get divine vision who never disrespects his parents and family, only he can get divine vision who always supports righteousness.

What I mean to say is that if there is no deceit in you, if you are sincere and always interested in doing good deeds with a clean mind, then you can have a divine vision. If you have committed sins throughout your life, tortured everyone out of greed, then you cannot have a divine vision in any birth.

If an ordinary man also always does good deeds, has good habits, good thinking and always supports righteousness and raises his voice against unrighteousness then he is no longer an ordinary man, he is not able to realize what he has achieved, only such true men become capable of attaining divine sight, and one day when the time comes they are able to see God with their open eyes.

Everything is there in this world, if there is sorrow then there is happiness too, if there is evil then there is goodness too, if there is an end then there is a beginning too, if there is death then there is rebirth too, if there is separation then there is reunion too, if there is darkness of unrighteousness then there is light of righteousness too, if there are humans on this earth then somewhere on this earth or the other God is also there, and it is not possible for everyone to know, understand and recognize him, only he will be able to recognize whose deeds are right, who will be the follower of righteousness.

People say that divine vision can be awakened by meditation and penance, but why do people not understand that meditation and penance can be successful only when the thinking and deeds of the seeker are right, only then he is able to succeed in his meditation and penance. Always remember that even if you go to any Guru, saint or any Pandit, but if you want to make your meditation successful, then you will not need to go to any Guru, Saint or Pandit if your deeds are right, if you have always chosen goodness and truth, if you have always followed righteousness, then these three qualities are your penance and meditation with the help of which you can feel God, with the help of which you can be successful in awakening your divine vision.


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Sneha Amrohi - ( From- India )


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  1. If our deeds are good and our mind is clean, then we automatically start experiencing divine vision, what should I write in the comment, you have already analyzed it very beautifully and provided a good guidance. Very lovely article.😊👍

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