इस दुनिया में जब हम आते है,तो हमारे जन्म की खुशी मनाई जाती है, जिस दिन हमारा जन्म हुआ उस तारीख को हमारे जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जैसे-जैसे हम बड़े होते है,हमारा परिचय हमारे अपनों से होना शुरू हो जाता है, हमे बचपन से जो सिखाया जाता हम वही सीखते है, क्योकि बाल्यावस्था में हमे सही- गलत क्या है और अच्छा-बुरा क्या है ? इसका अनुमान और ज्ञान नहीं होता।
मगर जैसे-जैसे हम बड़े होने लगते है, हमे सभी बातें समझ आने लगती है, हमारे अंदर अच्छे और बुरे की भी समझ आने लगती है, मगर सब कुछ जान कर भी यदि हम जानबूझ कर बुराई को चुनते है तो ये हमारी नासमझी और भूल नहीं बल्कि जानबूझ कर किया जाने वाला दोष कहलाता है।
लोग कहते है कि जीवन में एक गुरू अवश्य होना चाहिए जो हमारे जीवन का सही मार्गदर्शन कर सके, हमारे अज्ञान को मिटा कर जो हमे ज्ञान का सही पाठ पढ़ा सके। मगर लोग इस बात को क्यों नहीं समझते कि एक बच्चे के लिए उसके माता-पिता से बड़ा गुरू कोई अन्य हो नहीं सकता। क्योकि अपनी संतान को माता-पिता से बेहतर कोई अन्य समझ नहीं सकता, अपनी संतान को सही मार्ग दिखाना,उचित और अनुचित का पाठ पढ़ाना,अपनी संस्कृति से उसका परिचय कराना,उचित संस्कारो का समावेश करना ये सब ज्ञान एक माता-पिता ही अपनी संतान को भलीभांति प्रदान कर सकते है।
मैंने माता-पिता को ही एक बेहतर गुरू कहलाने का दर्जा क्यों दिया है ? इसका पहला सबसे मुख्य कारण है, माता-पिता को ईश्वर से भी बढ़ कर माना जाता है, क्योकि एक माँ जब अपने गर्भ में अपनी संतान को रखती है, तो उस माँ को अनेको पीड़ा सहन करनी पड़ती है, फिर भी माँ अपनी संतान की रक्षा के लिए तत्पर रहती है, माँ अपना और अपनी कोख में पल रही संतान का बहुत देखभाल करती है और प्रसव की पीड़ा को सहन कर अपनी संतान को जन्म देती है।
ये अटूट संबंध होता है एक माँ का अपनी संतान से और एक संतान का अपनी माँ से इसलिए जन्म लेते ही बच्चा सबसे पहले अपनी माँ को पहचानता है, जिस माँ ने नौ महीने उस संतान को अपनी कोख में रखा, उसका पालन पोषण किया,उसके लिए प्रसव पीड़ा को सहन किया।
एक पिता चाहे खुद भूखा ही क्यों ना सो जाए मगर कभी अपनी संतान को भूखे पेट नहीं सुला सकते, अपनी संतान की हर जरुरत को ध्यान में रख कर,उसकी हर ख्वाईशो को पूरी करना एक पिता का फर्ज होता है। अपनी संतान का पालन पोषण करना, उसका सही मार्गदर्शन करना, अच्छे और बुरे की सीख प्रदान करना, अनुशासन का पाठ पढ़ाना एक पिता से बेहतर कोई अन्य प्रदान नहीं कर सकता। इसलिए माता-पिता ही अपनी संतान के प्रथम गुरू कहलाते है।
माता-पिता भलीभांति अपनी संतान की हर आदतों से व्यवहारों से अवगत होते है,अपनी संतान के प्रत्येक क्रियाकलाप पर माता-पिता की नजरे रहती है, यदि संतान किसी बुरी आदतों की शिकार होती है, तो एकमात्र माता-पिता ही अपनी संतान को समय रहते रोक सकते है। आज इस कलयुग में कोई यदि गुरू की तलाश में है तो उन्हें एक बात अवश्य कहना चाहूंगी।
यथा दर्पणः भवतः यथार्थरूपं दर्शयति, यथा भवतः प्रतिबिम्बं भवतः उपस्थितिम् अवगतं करोति, तथैव भवतः मातापितृभिः दत्ताः पाठाः भवतः जीवनं सम्यक् मार्गदर्शयन्ति, यतः भवतः सहचरत्वेन भवतः मातापितृभ्यः श्रेष्ठः कोऽपि नास्ति न एकः भवतः मातापितृभ्यः श्रेष्ठः भवितुम् अर्हति।
अर्थात,जैसे दर्पण तुम्हे तुम्हारे असली रूप का परिचय देता है, जैसे तुम्हारी परछाई तुम्हारे मौजूदगी का आभास कराती है, ठीक वैसे माता-पिता की दी गई सीख तुम्हारे जीवन का सही मार्गदर्शन करती है, क्योकि माता-पिता से बढ़ कर कोई तुम्हारा हमसाया नहीं हो सकता, माता-पिता से बढ़कर कोई तुम्हारा हितैषी नहीं हो सकता।
जो लोग किसी गुरू की तलाश में अपने असली गुरू को ही नहीं पहचान रहे, जो अपने घर में मौजूद भगवान को भुला कर मंदिरो और तीर्थ धाम में भगवान को तलाश रहे,उन्हें कैसे समझाया जाए कि अपने अज्ञान से वो ज्ञान के सही तथ्य को नकार रहे।
गुरू पूजनीय होते है,ईश्वर तुल्य होते है,तो आज इस दुनिया में मौजूद इंसान इस बात को क्यों नहीं समझ रहा कि जो हर दिन अपने स्वार्थ और लोभवश कुछ लोग अपने माता-पिता को ही अपमानजनक बाते कह रहे है, उन पर अत्याचार कर रहे है, ये उसी अज्ञान और पाप का परिणाम है, जो इस दुनिया की रखवाली करने वाला भी मौन है। क्यों दोषारोपण करते हो तुम मानव कि इस दुनिया में इतना कुछ घटित हो रहा है भगवान शांत है ? भगवान शांत नहीं, शब्दों की गहराई को समझने का प्रयास करो तुम्हे सभी प्रश्नो का उत्तर स्वतः ही प्राप्त हो जाएगा, तुम्हारा संशय मिट जाएगा।
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Sneha Amrohi - ( From- India )
When we come into this world, our birth is celebrated. The day on which we were born is celebrated as our birthday. As we grow up, we start getting introduced to our loved ones. We learn what we are taught from childhood because in childhood we do not have any idea or knowledge about what is right and wrong and what is good and bad.
But as we grow up, we start understanding everything, we also start understanding the difference between good and bad, but even after knowing everything, if we deliberately choose evil, then it is not our foolishness or mistake but is called a deliberate fault.
People say that there should be a preceptor in life who can guide us properly, who can remove our ignorance and teach us the right lessons of knowledge. But why don't people understand that there can be no better preceptor for a child than his parents. Because no one can understand their child better than the parents, showing the right path to their child, teaching the lesson of right and wrong, introducing them to their culture, inculcating proper values, only a parent can provide all this knowledge to their child well.
Why have I given the status of a better Guru to parents? The first and foremost reason for this is that parents are considered greater than God, because when a mother carries her child in her womb, she has to bear a lot of pain, yet the mother is ready to protect her child, the mother takes great care of herself and the child growing in her womb and gives birth to her child by bearing the pain of childbirth.
This is an unbreakable bond between a mother and her child and between a child and his mother. Hence, as soon as the child is born, he first recognizes his mother, the mother who carried the child in her womb for nine months, nurtured him and endured the pain of labor for him.
A father may himself go to sleep hungry but he can never let his child sleep hungry. It is the duty of a father to keep in mind every need of his child and fulfill his every wish. No one can provide better care to his child, guide him properly, teach him the difference between good and bad, and teach him the lesson of discipline than a father.That is why parents are called the first preceptor of their children.
Parents are well aware of every habit and behaviour of their children. Parents keep an eye on every activity of their children. If the child falls prey to any bad habits, then only parents can stop their child in time. Today in this Kaliyug, if someone is looking for a Guru, then I would definitely like to tell them one thing.
Just like a mirror shows you your true form, just like your shadow makes you feel your presence, similarly the teachings given by your parents guide your life properly, because no one can be your better friend than your parents, no one can be your better well-wisher than your parents..
Those who are searching for a preceptor and are not even able to recognize their real preceptor, who have forgotten the God present in their homes and are searching for God in temples and pilgrimage places, how can they be explained that due to their ignorance they are denying the true facts of knowledge.
Preceptor is worshipable, he is equal to God, then why the humans present in this world today are not understanding that every day due to their selfishness and greed some people are saying insulting things to their parents, torturing them, this is the result of the same ignorance and sin, that the protector of this world is also silent. Why do you humans blame that so many things are happening in this world, God is silent? God is not silent, try to understand the depth of the words, you will get the answer to all the questions automatically, your doubt will be removed.
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Sneha Amrohi - ( From- India )
ReplyDeleteParents are our God, there can be no better preceptor than our parents. Because only a parent can guide a child properly.very lovely article by you...👍
Thank you....
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